An Unbiased View of hindi kahaniyan
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हिंदी कहानियां
अपने होठ चाट रहा था. उसके भोजन की घड़ियाँ बीत रही थी, कुछ ही देर में कोई पशु नही आया तो वह शिकार को चल पड़ेगा.
इसका अर्थ यही हुआ न कि चोरी करना व्यर्थ है”
बरसात के दिन थे. शीला बच्चों को लेकर शाला जा रही थी.
बड़ा टेड़ा प्रश्न था. बड़ा बताएं तो किसे बताएँ. कुछ देर वो सोचकर बोले- इसका उत्तर कल दूंगा.
मेरे कुछ भी घाटा नही पड़ेगा, पर पहले कुरज को छोड़ दे.
चाहे कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो उन्हें बुद्दि के बल पर पराजित किया जा सकता हैं- लीजिए शुरू करते हैं यह बच्चो के लिए शिक्षाप्रद कहानी-
एक बार तीन दोस्त किसी शहर की मुख्य सड़क से होकर गुजर रहे थे.
गर्भावस्था गर्भावस्था सप्ताह दर सप्ताह
शीला उसी शाला की पांचवी क्लास की छात्रा थी. वह अपने मोहल्ले के बच्चों को अपने साथ ले जाती और छुट्टी के बाद वापिस घर तक लाती थी.
क्या किसी ने देखा? सभी ने इनकार में सिर हिलाया.
पाठशाला के रस्ते में घने पेड़ और झाड़ियाँ थी. पास ही एक जल का नाला बहता था.
उस रात के स्वप्न के बाद वह बालक रोजाना रात को छिप छिपकर पढ़ने लगा.
और बोला- मेने किसी की बात नही मानी, अड़ा रहा पर तेरा कहना तो मानना ही पड़ेगा. किन्तु केवल सोने की माला से काम चलने वाला नही हैं
उन अन्डो को कुरज ने पुरे सत्रह दिन तक सेया. उस कुरज ने उन सत्रह दिनों तक एक भी दाने का चुग्गा नही लिया.